Friday, November 22, 2024
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बाबा नीम करोली का सम्पूर्ण जीवन परिचय | Complete life introduction of Baba Neem Karoli

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भारत वर्ष को देवों और संतों की तपोस्थली कहाँ जाता है, न जाने कितने ही महापुरुष ने इस स्थली पर जन्म लिया व इसी में समा गए। भारत देश चमत्कारों के लिए विश्व परिषद है यह चमत्कार शुरू से लेकर अभी तक इस स्थली पर बरकरार है आज हम ऐसे ही एक महापुरुष का जीवन परिचय आपके लिए लेकर है जिन्होंने अपने चमत्कारों से भारत का नाम विश्व प्रसिद्ध बना दिया है इस महापुरुष के भक्तों में एप्पल कंपनी के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के संस्थापक मार्क ज़ुकरवर्ग, हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स जैसे लोग भी शामिल है जी हाँ हम सुप्रसिद्ध बाबा नीम करोली की बात कर रहे है जिनके जीवन की घटना व उनके चमत्कारों के बारे में आज हम आपको इस पोस्ट में बताएंगे। 

1. बाबा नीम करोली की बुनियादी जानकारी :

नाम (Name)लक्ष्मीनारायण शर्मा 
उपनाम (Nickname)बाबा नीम करोली, लक्ष्मण दास, बाबा तलैया
जन्म (DOB) 1900 ई.
जन्म स्थान (Birthplace)   अकबरपुर, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश 
गृह  नगर (Hometown)अकबरपुर, फिरोजाबाद, उत्तर प्रदेश
पेशा (Profession)रहस्यवादी, हिंदू गुरु, हिन्दू देवता, हनुमान जी के भक्त 
पिता का नाम (Father)   दुर्गा प्रसाद शर्मा 
माता का नाम (Mother)       ज्ञात नहीं 
पत्नी का नाम (Wife)राम बेटी 
पुत्र का नाम (Son)अनेग सिंह शर्मा व धर्म नारायण शर्मा
पुत्री का नाम (Daughter)गिरिजा देवी 
धर्म (Religion)हिन्दू 
जाति (Caste)ब्राह्मण 
मृत्यु (Death)11 सितंबर 1973 
मृत्यु का कारण(Cause of Death)कोमा 
मृत्यु स्थान (Death Place)वृंदावन उत्तर प्रदेश 


2. बाबा नीम करोली का शुरुआती जीवन व परिवार ( बाबा नीम करोली कौन है ) :

  • बाबा नीम करोली का जन्म लगभग सन 1900 में उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव में हुआ था। 
  • इनके पिता का नाम पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा था जो की एक जमींदार थे। 
  • बाबा नीम करोली का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था, यह बचपन से हनुमान जी के बहुत बड़े भक्त थे तथा इन्होने बहुत कम उम्र में सिद्धिया प्राप्त कर ली थी। 
  • इनकी शादी इनके पिता दुर्गा प्रसाद ने मात्र 11 साल की उम्र में करवा दी थी। 
  • अपने गृहस्थ जीवन से परेशान होकर बाबा बहुत कम उम्र में अपने घर को त्याग कर चले गए थे। 

3. बाबा नीम करोरी के उपनाम : 

  • सर्वप्रथम बाबा नीम करोली ने गुजरात के मोरबी से 35 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव में साधना करके सिद्धिया प्राप्त की, वहाँ पर इनके गुरु ने इनको लक्ष्मण दास नाम दिया। 
  • इसके बाद बाबा नीम करोली ने गुजरात के राजकोट के पास बवानिया गांव में जाते है वहाँ पर तालाब किनारे हनुमान जी का मंदिर स्थापित करके वहाँ घंटो तक तपस्या किया करते थे। जिस कारण वहाँ के गांव वालो ने इन्हे बाबा तलैया नाम दिया। 

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4. कैसे हुए प्रसिद्ध बाबा नीम करोली :

  • इसके बाद बाबा नीम करोली गंगा मैया के दर्शन करने के लिए चल पड़ते है जिसके लिए वह टूंडला से फर्रुखाबाद जाने वाली ट्रेन के प्रथम श्रेणी के डब्बे में बैठ जाते है। और जब टीटी टिकट चेक करने आता है और बाबा के पास टिकट न होने पर उन्हें बुरा भला कहकर ट्रेन से नीचे उतार देता है। 
  • उसके बाद बाबा ट्रैन से कुछ दुरी पर जाकर अपना चिमटा गाड़कर वहां बैठ जाते है। 
  •  लेकिन उसके बाद ट्रेन रवाना नहीं होती है ट्रेन की जांच करने के बाद ट्रेन में कोई खराबी नजर नहीं आती है लेकिन फिर भी ट्रैन अपनी जगह से नहीं हिली ये सब देखकर कुछ लोगों ने कहा की ये सब बाबा को अपमानित करने के कारण हुआ है, ये देखकर टीटी बाबा से क्षमा मांग कर उन्हें वापस ट्रेन में बैठने के लिए कहता है।
  •  उसके बाद बाबा पहले उसे प्रथम श्रेणी का टिकट दिखाते है और कहते है में ट्रेन में जभी बैठूंगा जब वह उसकी 2 शर्तों का पालन करें बाबा कहते है उनकी पहली शर्त है की वह आज के बाद किसी साधु-महात्मा का अपमान नहीं करेंगे तथा बाबा ने दूसरी शर्त रखी की इस स्थान पर एक रेलवे स्टेशन बनाया जाए। उनकी शर्तें मान ली जाती है और बाबा ट्रेन में बैठ जाते है 
  • बाबा जिस स्थान पर बैठे थे उस स्थान का नाम नीबकरोरी पड़ा। 
  •  गंगा मैया के दर्शन के बाद बाबा जब वापस लोटे तो नीबकरोरी गांव के लोगों के आग्रह पर बाबा ने कुछ समय वहाँ रहकर तपस्या की वहाँ पर बाबा ने एक गुफा बनवाई और अपने हाथो से हनुमान जी की मूर्ति बनाकर उसकी स्थापना उस गुफा में की जो की नीम करोली धाम के नाम से प्रसिद्ध हुई, और यही पर बाबा का नाम बाबा नीम करोली पड़ा। 
  • बाबा की ट्रेन रुकवाने की घटना विश्व प्रसिद्ध हो गयी जिस कारण जगह जगह से लोग उनके पास अपनी समस्याओं का हल पाने के लिए आने लगे। 


5. बाबा की गृहस्थ जीवन में वापस लौटने की घटना: 

  • इनके पिता पंडित दुर्गा प्रसाद भी अपने पुत्र खोजते खोजते नीम करोली धाम पर जा पहुंचे और बाबा नीम करोली से अपने पुत्र का पता पूछने की ठानी। 
  • लेकिन जैसे ही पंडित दुर्गा प्रसाद ने देखा की बाबा नीम करोरी और कोई नहीं बल्कि उनके पुत्र लक्ष्मी नारायण ही है तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा और वह अपने पुत्र से ग्रहस्थ जीवन में वापस लौटने का आग्रह करने लगे। 
  • अपने पिता के आग्रह के बाद बाबा नीम करोली 10 साल बाद वापस अपने गृहस्थ जीवन में लौटते है 
  • लेकिन वह अपने पिता से कहते है की वह गृहस्थ जीवन का उत्तरदायित्व पूर्णतया निभाने को तैयार है लेकिन वह अपने जनकल्याण के कार्य को भी जारी रखना चाहते है।  इस पर उनके पिता जी कोई आपत्ति न जताते हुए राजी हो जाते है। 
  • जिसके बाद सन 1925 में बाबा के घर पुत्र का जन्म होता है जिसका नाम अनेग सिंह शर्मा रखा जाता है, उसके बाद 1935 में एक भव्य यज्ञ का आयोजन होता है, जिसके दौरान बाबा नीम करोली अपने जटाओं को त्याग कर देते है। 
  • सन 1937 में उन्हें दूसरे पुत्र धर्मनारायण शर्मा की प्राप्ति होती है जो की अब वृन्दावन आश्रम में देखरेख करते है 
  • सन 1945 में बाबा नीम करोली के घर एक कन्या का जन्म होता है जिसका नाम गिरिजा देवी रखा गया 


6. कैंची धाम की घटना : 

  •  ये घटना सन 1942 की है जिस समय बाबा उत्तराखंड में स्थित भवाली से कुछ दूरी पर स्थित छोटी सी घाटी पर थे तभी उन्हें एक व्यक्ति वहाँ से गुजरता दिखाई देता है तो बाबा उसे उसके नाम (पूर्णानंद तिवारी) से बुलाते है और कहते है की मुझे भूख लगी है मुझे भोजन लाकर दो। 
  • ये सब देखकर वह व्यक्ति आश्चर्यचकित रह जाता है और कहता है बाबा आप मेरा नाम कैसे जानते है, तो बाबा कहते है मैं तुम्हारे बारे में सब कुछ जानता हु ये देख वह व्यक्ति घर से उसके लिए खाना लाता है और अपने घर वालो को भी बाबा के पास ले आता है। 
  • बाबा खाना ग्रहण करने के बाद उस व्यक्ति से से कहते की वह गांव के कुछ लोगो को बुला लाये वह वैसा ही करता है। 
  • उसके बाद बाबा उन्हें लेकर नदी पार एक जंगल में जाते है और एक बड़े से पत्थर की और इशारा करके कहते है उस पत्थर को वहाँ से हटाओ उसके पीछे एक गुफा है गांव वाले ये सुनकर आश्चर्यचकित रह जाते है की वह वर्षो से इस गांव में रह रहे है उन्होंने कभी कोई गुफा क्यों नही दिखी। 
  • वह व्यक्ति मिलकर उस बड़े से पत्थर को वहाँ से हटा देते है तो देखते है सच में वहाँ पर एक गुफा है जभी बाबा कहते है इस गुफा में एक हवन कुंड रखा है उसे उठा ले आओ लोगों ने वैसे ही किया। 
  • बाबा फिर उन लोगो को बताते है की यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि यह एक बहुत पुराना हनुमान जी का स्थान है। और कहते है ये सोमवारी बाबा की तपोस्थली है। 
  • उसके बाद उस जगह का गंगा जल से शुद्धिकरण करके हनुमान जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है जहां पर बाबा अक्सर आते जाते रहा करते थे। 
  • सन 1964 में उस जगह कैंची धाम की स्थापना की जाती है। 
  •  उस समय चौधरी चरण सिंह जो की वन मंत्री थे वह कैंची धाम के निर्माण की जगह का मुहैया करते थे। 
  • जिससे बाबा नीम करोली प्रसन्न होकर चौधरी चरण सिंह को आशीर्वाद देते है की वह 24 घंटो के लिए पूरे भारतवर्ष के प्रधानमंत्री बनेंगे। उस समय उनको ये बात मजाक सी लगी लेकिन बाद में ये बात सच साबित हुई।    
  • इस स्थान पर सिर्फ भारत देश के नहीं बल्कि विदेशों से भी कई श्रद्धालु आते है।     


7. बाबा नीम करोली के भक्त : 

  •  बाबा नीम करौली के भक्तों में गरीब से गरीब लेकर अमीर से अमीर व्यक्ति शामिल है। 
  • सन 1974 में स्टीव जॉब्स जो की एप्पल कंपनी के संस्थापक बाबा का आशीर्वाद लेने कैंची धाम आये थे। लेकिन बाबा उस समय समाधि ले चुके थे इसलिए वह कैंची धाम में आकर गए थे। 
  • तथा स्टीव जॉब्स के कहने पर मार्क ज़ुकरवर्ग जो की फेसबुक के संस्थापक है बाबा के आश्रम कैंची धाम आये थे, ये बात मार्क ज़ुकरवर्ग ने खुद  भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को बताई थी। उनका कहना था की उस समय वह बहुत बुरे हालात से गुजर रहे थे उनकी कंपनी लगभग बिकने के कगार पर थी तब उन्होंने स्टीव जॉब्स की सलाह पर कैंची धाम आकर माथा टेका था। जिसके बाद उनकी जिंदगी ने एक नया मोड़ ले लिया था 
  • जूलिया रॉबर्ट्स जो की एक हॉलीवुड अभिनेत्री है, वह सिर्फ बाबा की फोटो देखकर वह चमत्कारों को सुनकर उनकी भक्त बन गयी। 
  • रिचर्ड एडवर्ड जो की अमेरिका की हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर है, को ड्रग्स की लत लग गयी थी, जिस कारण इन्हें यूनिवर्सिटी से भी निकाल दिया गया था, जिस कारण इनकी यह लत और ज्यादा बढ़ गयी, और ये धीरे धीरे डिप्रेशन में जाने लगे। सन 1967 में यह भारत के दौरे पर आये जहाँ इनकी मुलाकात बाबा नीम करोली से हुई, बाबा ने प्रोफ़ेसर के हाथ से ड्रग्स का पैकेट लेकर एक साथ खा लिया लेकिन उसके बाद भी बाबा पर कोई असर नहीं पड़ा जिससे रिचर्ड एडवर्ड बहुत प्रभावित हुए, और देखते ही देखते उनकी ड्रग्स लेने की लत छूट गयी।  

8. बाबा नीम करोली की समाधि : 

  •  बाबा नीम करोली ने अपना सम्पूर्ण जीवन गृहस्थ व अध्यात्म में बराबर उत्तरदायित्व निभाया। 
  • 1935 में नीम करोरी धाम से विदा लेकर अपना अगला लक्ष्य कैंची धाम को बनाया। 
  • कैंची धाम में उनके प्रिय शिष्य पूर्णानंद तिवारी थे जिनसे उनकी मुलाकात 1942 में हुई थी ये वहीं व्यक्ति है जिसको बाबा ने उसके नाम से पुकारा था। 
  • बाबा नीम करोली ने 9 सितंबर 1973 को कैंची धाम का त्याग कर दिया था, बाबा ने 2 महीने पहले से ही अपने भक्त पूर्णानंद तिवारी को अपने से दूर करना शुरू कर दिया था, जिससे पूर्णानंद को बुरा लगा था, क्योंकि उनको इसकी पीछे की वजह नहीं पता थी। 
  • बाद में 9 सितंबर को बाबा नीम करोली ने पूर्णानंद से कहाँ की वह वृन्दावन जा रहे है, लेकिन वहां पर पूर्णानंद उनके साथ नहीं जा सकते बल्कि रवि खन्ना जो की एंग्लो इंडियन थे उनके साथ जायेंगे ये जानकर पूर्णानंद को बहुत दुःख हुआ। 
  • फिर बाबा ने काठगोदाम से ट्रेन के द्वारा आगरा के लिए रवाना हुए
  • आगरा पहुंचने के बाद उन्होंने रवि खन्ना से कहा कि मैं अपनी देह का त्याग करने जा रहा हु, और उन्होंने कहा मेरा अंतिम संस्कार कैंची धाम में न करके वृन्दावन में किया जाए तथा उनकी अर्थी को सबसे पहले कंधा उनका प्रिय भक्त पूर्णानंद ही देगा। तथा वही मेरा अंतिम संस्कार करेगा। 
  • उसके बाद बाबा ने अपने देह का त्याग दिया और उनकी समाधि वृन्दावन आश्रम में बनाई गयी। 


FAQ : 

Q. 1 बाबा नीम करोली का असली नाम क्या है?

Ans. लक्ष्मीनारायण शर्मा  

Q. 2  बाबा नीम करोली का जन्म कहां पर हुआ? 

Ans. उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद जिले के अकबरपुर गांव 

Q. 3 बाबा नीम करोली की पत्नी का क्या नाम है?

Ans. राम बेटी 

Q. 4  बाबा नीम करोली के कितने बच्चे है?

Ans. 3 बच्चे है, 2 पुत्र व एक पुत्री

Q. 5 बाबा नीम करोली ने समाधि कब ली?

Ans. 11 सितंबर 1973 को  

Q. 6  बाबा नीम करोली किसके भक्त है ?

Ans. हनुमान जी के 

Q. 7 बाबा नीम करोली का प्रिय भक्त कौन था ?

Ans.पूर्णानंद तिवारी 

Q. 8  बाबा नीम करोली की जाति क्या थी?

Ans. ब्राह्मण 

Q. 9 बाबा नीम करोली के प्रसिद्ध होने का कारण क्या है? 

Ans. बाबा नीम करोली द्वारा किये गए चमत्कारों के कारण सभी भक्त उन्हें हनुमान जी का अवतार मानते है। 

Q. 10 कैंची धाम की स्थापना कब हुई ?

Ans. 1964 

Q. 11 बाबा नीम करोली कौन है

बाबा नीम करोली का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था, बाबा नीम करोली एक हिंदू गुरु थे और वे भगवान हनुमान के बहुत बड़े भक्त थे।

दोस्तों आज की इस पोस्ट में हमने बाबा नीम करोली के जीवन परिचय के बारे में चर्चा की है, तथा बाबा के द्वारा किये गए चमत्कारों के बारे में जाना है, आपको ये पोस्ट कैसी लगी मुझे कमेंट करके जरूर बताये अगर आप भी ऐसी ही रोचक जानकारी हर रोज पाना चाहते हो तो आप हमारी वेबसाइट Knovn.in को फॉलो कर सकते है। 

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