Friday, September 20, 2024
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जगतगुरु आदि शंकराचार्य का जीवन परिचय (Jagatguru Adi Shankaracharya’s biography in Hindi)

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Table of Contents

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आदि शंकराचार्य के बारे में बुनियादी जानकारी

जन्म788 ई
मृत्यु  820 ई 
जन्मस्थान  केरल के कलादि गांव में
पिताश्री शिव गुरु
माताश्रीमती आर्याम्बिका देवी
गुरुगोविंदाभागवत्पद
जातिनाबदूरी ब्राह्मण
प्रमुख उपन्यास  अद्वैत वेदांत
धर्महिन्दू
राष्ट्रीयताभारतीय 
भाषासंस्कृत,हिंदी
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आदि शंकराचार्य कौन थे ?

आदि शंकराचार्य भारतीय सनातन धर्म के महान धर्म प्रवर्तक थे। इन्होने 8 वीं शताब्दी ईसा पूर्व में हिन्दू धर्म को संगठित करने में अपना पूरा योगदान दिया।  शंकराचार्य ने हमारे भारत के लिए कई ऐसे कार्य किये जो हमारे भारत के लिए वरदान से कम नहीं है।  

आदि शंकराचार्य का जन्म व मृत्यु   

आदि शंकराचार्य का जन्म आज से साढ़े बारह सौ वर्ष पहले केरल के कालड़ी गांव में 788 ई में भगवान शंकर की कृपा से इनका जन्म हुआ और मृत्यु 820 ई में 32 वर्ष की आयु में हो गयी | इनकी माता का नाम श्रीमती आर्याम्बिका देवी और पिता का नाम  श्री शिव गुरु है।  उनके पिता अत्यंत ही धर्मनिष्ट थे।  शंकराचार्य की उम्र तीन वर्ष होते होते उनके पिता का निधन हो गया।  असाधारण मेधासंपन्न शंकराचार्य ने तमिल भाषा होते हुए भी संस्कृत , गणित संगीत के साथ ही इन्हे गंथ्रों का भी गहरा ज्ञान है। 

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आदि शंकराचार्य जी का धर्म 

आदि शंकराचार्य जी के गुरु का नाम गोविंदाभागवत्पद है। आदि शंकराचार्य जी का धर्म नाबूधारी ब्राह्मण था।  इन्होने हिन्दू धर्म को भारत भर में फैलाने और हिन्दू धर्म का प्रचार करने में अपना पूरा योगदान दिया है। 

आदि शंकराचार्य जी की शिक्षा  

आदि शंकराचार्य जी ने अपनी पढ़ाई अपने घर के पास वाले गुरुकुल से ही की।  उन्होंने गुरुकुल से सब प्रकार के वेद सीखे और 6 वेदान्तों में पारंगत हो गए।  समय के साथ ही शंकराचार्य जी का ज्ञान भी बढ़ने लगा।  इन्होने अपने ज्ञान को अलग अलग मठ की स्थापना करके और कई तरीके के ग्रन्थ की रचना करके लोगों को अपना ज्ञान दिया।  

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आदि शंकराचार्य जी के द्वारा किया गए कार्य

आदि शंकराचार्य जी ही पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्होंने लोगों को योग का महत्त्व समझाया था और इन्होने यह भी बताया की भगवान से कैसे जुड़ा जा सकता है । इन्होने बहुत सारे सम्प्रदाओं का गहरा अध्ययन किया और  और उनके बारे में भी लोगों को बताया।   

आदि शंकराचार्य का कार्यकाल 

आदि शंकराचार्य काफी 32 साल की उम्र में ही अपने जीवन के उद्देश्यों को लगभग पूरा कर ही लिया था।  ऐसा कहा जाता है की उन्होंने 3 साल की उम्र में ही सारे वेदों का पूरा अध्ययन कर लिया था।  और 3 वर्ष में इन्हे पुरे वेद याद हो गए थे।

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आदि शंकराचार्य जी का संन्यास 

आदि शंकराचार्य जी की बचपन से इच्छा थी  की वह अपना जीवन एक तपस्वी की तरह जिए पर इस चीज़ के खिलाफ उनकी माँ थी। पौराणिक कथाओं में कहा जाता है की शंकराचार्य जी अपनी माता के साथ रोज नदी में स्नान करने जाते थे।  18 वर्ष की आयु में जब वह रोज की तरह अपनी माँ के साथ स्नान करने गए थे तो नदी में नहाते समय एक मगरमछ ने उनको पकड़ लिया था।  फिर उन्होंने अपनी माँ से कहा की आप मुझे सन्यासी बनने की अनुमति दे दीजिए वरना यह मगरमच्छ मुझे खा जायेगा और भय से युक्त माता ने उनको अनुमति दे दी।

आदि शंकराचार्य जी और उनके गुरु का मिलाप

आदि शंकराचार्य जी ने अपनी माता से अनुमति पाके अपने गृहस्थ जीवन को त्याग दिया और एक सन्यासी बनने के लिए और अपने गुरु ढूढ़ने के लिए खोज में निकल गए।  कई कथाओं में बताया जाता है की शंकराचार्य ने अपने गुरु से मिलने के लिए 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा भी की अपने गुरु की खोज में |

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आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित करे गए मठों के नाम और कहाँ स्थापित किये गए 

वेदांत मठ 

आदि शंकराचार्य ने वेदांत मठ दक्षिण भारत में स्थापित किया था | इससे वेदांत ज्ञान मठ भी कहते है | यह मठ शंकराचार्य जी ने सबसे पहले स्थापित किया था | 

गोवर्धन  मठ

आदि शंकराचार्य जी का दूसरा मठ गोवर्धन मठ है जिसको पूर्वी भारत जगन्नाथपुरी  में स्थापित किया गया था | 

शारदा मठ 

शारदा मठ का दूसरा नाम कालिका मठ है | यह मठ शंकराचार्य जी द्वारा स्थापित किया गया तीसरा मठ है जिसको पश्चिम भारत में स्थापित किया गया | 

ज्योतिष पीठ मठ 

आदि शंकराचार्य जी ने अपना आखिरी और चौथा मठ उत्तर भारत में स्थापित किया | जिससे बद्रीनाथ में स्थापित किया गया और इससे बद्रिकाश्रम भी कहते है |  

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 आदि शंकराचार्य का जन्म कब हुआ ?

आदि शंकराचार्य का जन्म आज से साढ़े बारह सौ वर्ष पहले केरल के कालड़ी गांव में 788 ई में हुआ |

आदि शंकराचार्य जी की माता का नाम क्या था ?

आदि शंकराचार्य जी की माता का नाम श्रीमती आर्याम्बिका देवी था |

आदि शंकराचार्य जी के पिता का नाम क्या था ?

आदि शंकराचार्य जी के पिता का नाम श्री शिव गुरु था |

आदि शंकराचार्य जी के गुरु का नाम क्या था ?

आदि शंकराचार्य जी के गुरु का नाम गोविंदाभागवत्पद था |

आदि शंकराचार्य जी का जन्म कहाँ हुआ ?

आदि शंकराचार्य जी का जन्म रल के कालड़ी गांव में हुआ |

आदि शंकराचार्य जी ने अपने गुरु से मिलने के लिए कितने किलोमीटर की पैदल यात्रा की ?

आदि शंकराचार्य जी ने अपने गुरु से मिलने के लिए 2000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की |

आदि शंकराचार्य जी की मृत्यु कब हुई ?

आदि शंकराचार्य जी की मृत्यु 820 ई में हुई |

आदि शंकराचार्य जी के मठों के नाम क्या है ?

आदि शंकराचार्य जी के मठों के नाम वेदांत मठ, गोवर्धन  मठ, शारदा मठ, ज्योतिष पीठ मठ है |

आदि शंकराचार्य जी के द्वारा कोनसा मठ पहले स्थापित किया गया था ?

आदि शंकराचार्य जी के द्वारा वेदांत मठ पहले स्थापित किया गया था |

आदि शंकराचार्य जी के द्वारा कोनसा मठ आखिरी मठ था ?

आदि शंकराचार्य जी के द्वारा ज्योतिष पीठ मठ आखिरी मठ था |

वेदांत मठ कहाँ स्थापित किया गया ?

वेदांत मठ दक्षिण भारत में स्थापित किया था |

गोवर्धन  मठ कहाँ स्थापित किया गया ?

गोवर्धन  मठ पूर्वी भारत जगन्नाथपुरी  में स्थापित किया गया |

शारदा मठ कहाँ स्थापित किया गया ?

शारदा मठ पश्चिम भारत में स्थापित किया गया |

ज्योतिष पीठ मठ कहाँ स्थापित किया गया ?

ज्योतिष पीठ मठ उत्तर भारत में स्थापित किया गया |

शारदा मठ का दूसरा नाम क्या है ?

शारदा मठ का दूसरा नाम कालिका मठ है |

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