चंद्रशेखर आज़ाद की जीवनी, चंद्रशेखर आजाद का इतिहास व जीवनी , चंद्रशेखर आजाद का जीवन परिचय, चंद्रशेखर आजाद का जन्म, मृत्यु, परिवार, पेशा, फोटो, जीवन परिचय, जयंती, नारे, सम्पूर्ण जीवन परिचय {Chandrashekhar Azad Biography, Chandrashekhar Azad Birth, Death, Family, Profession, Photo, Life Introduction, Birth Anniversary, Slogans, Complete Biography}
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भारतवर्ष न जाने कितने ही महापुरुषों, क्रांतिकारियों की जन्म स्थली है, जब जब इस पर संकट आया है तब तब एक वीर योद्धा इस धरती पर जन्मा है, आज हम ऐसे ही एक क्रांतिकारी की जीवनी आपके लिए लेकर आये है जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा दिया जी हां हम वीर योद्धा चंद्रशेखर आजाद की बात कर रहे है जिनकी बदौलत आज हम अपना जीवन स्वतंत्र रूप में से जी पा रहे है अपनी घडी में से थोड़ा सा वक़्त निकाल कर इस महापुरुष की जीवनी को पढ़ लीजिये जिन्होंने अपना जीवन देश के लिए दान कर दिया।
आजादी शब्द सुनते ही हम सब के मूछों को ताव देते एक क्रांतिकारी आखों के सामने आ जाता है, जिसे पूरी दुनिया चंद्रशेखर आजाद के नाम से पुकारती है। यह एक ऐसे युवा क्रांतिकारी थे जिसने अपने देश के लिए हंसते हंसते अपने प्राण निछावर कर दिए। जिसने अपनी लड़ाई के आखिरी तक आजाद रहने की ठान रखी थी। इस दुनिया में जिस सरकार का कभी सूर्यास्त नहीं होता वह शक्तिशाली सरकार भी इन्हे कभी बेड़ियों में जकड़ कर नहीं रख पाई चंद्रशेखर आजाद अपनी आखिरी साँस तक आजाद ही रहे।
1. चंद्रशेखर आजाद की बुनियादी जानकारी :
नाम (Name) | पंडित चंद्रशेखर तिवारी |
जन्म (DOB) | 23 जुलाई 1906 |
जन्म स्थान (Birthplace) | भाँवरा मध्य प्रदेश |
पेशा (Profession) | क्रांतिकारी |
पिता का नाम (Father) | सीताराम तिवारी |
माता का नाम (Mother) | जगरानी देवी |
भाई का नाम (Brother) | सुखदेव |
धर्म (Religion) | हिन्दू |
जाति (Caste) | ब्राह्मण |
मृत्यु (Death) | 27 फरवरी 1931 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | चंद्रशेखर आजाद पार्क, इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु का कारण(Death Reason) | आत्महत्या |
2. चंद्रशेखर आजाद का शुरुआती जीवन व परिवार :
- चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई 1906 को भाँवरा गाँव जिसका वर्तमान नाम चंद्रशेखर आजाद नगर है में हुआ था।
- चंद्रशेखर आजाद के पूर्वज उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के बदरका गांव से थे।
- चंद्रशेखर के पिता सीताराम तिवारी सन 1956 में अकाल के समय पर अपने मूल निवास बदरका गांव को छोड़कर यह पहले कुछ दिनों तक मध्य प्रदेश के अलीराजपुर रियासत में नौकरी करते थे। उसके बाद भाँवरा गाँव में रहने चले गये थे,यहीं पर बालक चंद्रशेखर का जन्म हुआ व बचपन व्यतीत हुआ।
- चंद्रशेखर की मां का नाम जगरानी देवी था।
- चंद्रशेखर आजाद का शुरुआती जीवन आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्थित भाँवरा गाँव में बीता तथा बचपन में चंद्रशेखर ने भील बालकों के साथ खूब धनुष बाण चलाए थे।
- आजाद कट्टर सनातनधर्मी ब्राह्मण परिवार के अंदर पैदा हुए थे। आजाद के पिता नेक, धर्मनिष्ट व दीं-ईमान के पक्के थे तथा उनमें पांडित्य को लेकर बिलकुल भी अहंकार नहीं था। सीताराम राम तिवारी बहुत स्वाभिमानी और दयालु प्रवृत्ति के इंसान थे। वह गरीबी के शिकार थे जिस वजह से चंद्रशेखर आजाद की अच्छी शिक्षा-दीक्षा नहीं मिल पाई, लेकिन चंद्रशेखर ने पढ़ना-लिखना गाँव के बुजुर्ग मनोहरलाल त्रिवेदी से सीख था।
3. चंद्रशेखर का नामकरण :
- वैसे तो चंद्रशेखर को सभी लोग पंडित जी, क्विक सिल्वर और बलराज जैसे कई उपनामों से बुलाया करते थे। लेकिन वह अपने नाम के आगे आजाद लिखना पसंद करते थे। चलिए जानते है इनके इस नाम से जुड़े एक किस्से को।
- ये बात सन 1921 की है जब असहयोग आंदोलन अपनी चरम सिमा की ओर था तथा चंद्रशेखर को एक धरने के दौरान गिरफ्तार कर लिया गया था तथा मजिस्ट्रेट के सामने हाजिर किया गया था।
- मिस्टर खरेघाट पारसी मजिस्ट्रेट अपनी कठोर सजाओं के लिए प्रसिद्ध थे।
- उन्होंने बड़े ही कड़े स्वर में चंद्रशेखर से पूछा की तेरा नाम क्या है ?
- चंद्रशेखर ने निडर होकर उत्तर दिया मेरा नाम आजाद है।
- दूसरा सवाल तुम्हारे पिता का क्या नाम है ?
- आजाद ने इस पर जवाब दिया स्वाधीनता मेरे पिता का नाम है।
- तीसरा सवाल तुम्हारी मां का क्या नाम है ?
- इस पर भी आजाद बहुत ही अच्छा जवाब दिया की मेरी माँ का नाम भारत माता है। और बोले जेलखाना मेरा घर है।
- चंद्रशेखर की ऐसी बात सुनकर मजिस्ट्रेट बहुत गुस्साए फिर उन्होंने कर्मचारियों को आजद के 15 बेंत लगाने की सजा दी।
- 15 बेंत की मार सहने के बाद भी उनके मुँह से उफ़ तक न निकला ये ही नहीं हर बेंत पर उन्होंने भारत माता का जयकारा लगाया।
- इस सजा को भुगतने के पर उन्हें तीन आने दिए गए। जिनको आजाद ने जेलर के मुंह पर फेंक आए थे। इस घटना के बाद सभी लोगों ने चंद्रशेखर को आजाद के नाम से बुलाने लगे थे।
4. चंद्रशेखर आजाद क्रांति की हुई शुरुआत :
- जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद आजाद को ये अच्छे से समझ आ गया था कि आजादी बातों से नहीं हथियारों से मिलेगी.
- वहीं दूसरी ओर उन दिनों महात्मा गांधी और कांग्रेस अहिंसात्मक आंदोलन अपने चरम पर थे और पूरा देश में उनका भारी समर्थन कर रहा था।
- चंद्रशेखर ने भी गांधी जी द्वारा चलाए गए असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और सजा भी पाई परन्तु चौरा-चौरी कांड के बाद जब आंदोलन वापस ले लिया गया तो चंद्रशेखर का कांग्रेस से मोहभंग हो गया था।
- उसके बाद आजाद ने बनारस का रुख किया। उन दिनों बनारस भारत में क्रांतिकारी गतिविधियों का मुख्य केंद्र था। वहां पर आजाद देश के महान क्रांतिकारी प्रणवेश चटर्जी और मन्मथनाथ गुप्त के संपर्क में आए।
- उन नेताओं से आजाद इतने प्रभावित हुए कि वे क्रांतिकारी दल हिन्दुस्तान प्रजातंत्र संघ के सदस्य बनने को तैयार हो गए।
- ये दल सर्वप्रथम उन घरों को लूटने लगा जो गरीब जनता का खून चूस कर पैसा जोड़ रहे थे। परन्तु दल को समझते देर नहीं लगी कि अपने लोगों को तकलीफ पहुंचा कर वे लोगो को कभी अपने पक्ष में नहीं कर पाएंगे
- इसके बाद दल ने अपनी गतिविधियों को बदलना शुरू किया तथा अपना उद्देश्य केवल सरकारी प्रतिष्ठानों को नुकसान पहुंचाना बना लिया।
- उसके बाद दल ने पूरे देश को अपने उद्देश्यों को परिचित करवाने के लिए अपना मशहूर पैम्फलेट द रिवॉल्यूशन प्रकाशित करवाया।
- इसके बाद उन्होंने उस घटना को अंजाम दिया गया, जिसका उल्लेख भारतीय क्रांति के इतिहास के अमर पन्नों में सुनहरे हर्फ़ों में दर्ज किया गया है।
5. चंद्रशेखर आजाद काकोरी कांड :
- काकोरी कांड कौन नहीं जानता जिस कांड में देश के महान क्रांतिकारियों रामप्रसाद बिस्मिल, राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्ला खां और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई थी।
- इस दल के दस क्रांतिकारी सदस्यों ने इस लूट को अंजाम तक पहुंचाया तथा अंग्रेजों के खजाने को लूट कर उनके सामने एक चुनौती पेश की।
- इस घटना के बाद में दल के ज्यादातर सदस्यो गिरफ्तार कर लिया गया था।
- दल धीरे धीरे बिखरने लगा था चन्द्रसेखर के सामने अब दुबारा दल को खड़े करनी की चुनौती सामने थी।
- काफी प्रयत्नों के बाद भी अंग्रेज सरकार उन्हें पकड़ने मे असफल रह गयी थी।
- जिसके बाद आजाद कैसे कैसे दिल्ली पहुंचे,दिल्ली में फिरोजशाह कोटला मैदान में बाकि बचे हुए क्रांतिकारियों की गुप्त मीटिंग की गयी हुए। इस सभा में चंद्रशेखर के अलावा महान क्रांतिकारी भगत सिंह भी शामिल हुए थे।
- दिल्ली की गुप्त मीटिंग में तय किया गया था कि एक नये नाम से दल का गठन किया जाएगा। तथा क्रांति की लड़ाई को आगे बढ़ाया जाएगा।
- नये दल को हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन नाम दिया गया।
- आजाद को इस दल का कमाण्डर इन चीफ बनाया गया। व संगठन का प्रेरक वाक्य बनाया गया कि हमारी लड़ाई आखिरी फैसला होने तक जारी रहेगी और वह फैसला है जीत या मौत का होगा।
6. चंद्रशेखर आजाद सांडर्स की हत्या व असेम्बली में बम
- दल के सक्रिय होते ही उन्होंने कुछ ऐसी घटनाओं को अंजाम दिया कि अंग्रेज सरकार फिर एक बार हाथ धोकर उनके पीछे पड़ गई।
- भगत सिंह ने लाला लाजपत राय की मौत की बदला लेने के लिए सांडर्स की हत्या करने की ठान ली जिसमें उनका साथ आजाद ने दिया।
- उसके बाद आयरिश क्रांति से प्रभावित भगत सिंह ने असेंबली में बम फोड़ने की ठानी और एक बार भी आजाद ने उनका साथ इस घटना में दिया।
- इन सभी घटनाओं के बाद अंग्रेज सरकार ने इन क्रांतिकारियों के हाथ धोकर पीछे पड़ गयी और एक बार फिर दल बिखरने लगा था।
- चंद्रशेखर ने भगत सिंह को छुड़ाने की बहुत कोशिश की परंतु वह सफल न हो सके।
- जब दल के लगभग सभी क्रांतिकारी अंग्रेजो की कैद में चले गए तब भी चंद्रशेखर इनको लगातार चकमा देने में कामयाब रहे थे।
7. चंद्रशेखर आजाद की अंतिम साँस तक की लड़ाई :
- भगतसिंह और सुखदेव को अंग्रेज सरकार ने फांसी की सजा सुना दी थी लेकिन आजाद इसी कोशिश में लगे हुए थे की कैसे भी करके इनकी सजा को कम व फांसी की जगह उम्रकैद में बदलावा दी जाए।
- जिसके लिए वह इलाहाबाद पहुंचे लेकिन इस बार ये खबर अंग्रेजो तक पहुंच गई थी। तथा जिस पार्क में थे उसका नाम अल्फ्रेड पार्क था वहाँ हजारों की संख्या पुलिस पहुंच गई थी। पुलिस ने आजाद को आत्मसमर्पण के लिए कहा लेकिन आजाद हार मानने वालों में से नहीं थे। वह अपनी आखरी साँस तक अंग्रेजो से लड़ते रहे वह खुद भी बुरी तरह गोलियों से जख्मी हो चुके थे अंत में जब उनके पास सिर्फ एक गोली बची तो उन्होंने अंग्रेजों की कैद में जाने से अच्छा खुद के हाथों शहीद होना समझा और अपनी बंदूक में बची आखरी गोली को खुद के ऊपर चलाकर मात्र 24 वर्ष की उम्र में आत्महत्या कर ली।
- उसके बाद आजाद का अंतिम संस्कार अंग्रेजों ने बिना किसी सूचना के कर दिया।
- जिसके बाद लोगों की भीड़ सड़को पर उमड़ पड़ी और जिस पेड़ के पास आजाद ने अंतिम साँस ली उस पेड़ की पूजा शुरू करदी गयी तथा जिस बंदूक से उन्होंने खुद को गोली मारी थी आज भी वह इलाहाबाद म्यूजियम में रखी है।
FAQ :
Q. चंद्रशेखर आजाद का जन्म कब हुआ ?
Ans. 23 जुलाई 1906
Q. चंद्रशेखर आजाद शहीद कब हुए ?
Ans. 27 फरवरी 1931
Q. चंद्रशेखर आजाद की मौत किस कारण हुई
Ans. आत्महत्या
Q. चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु के समय उम्र क्या थी ?
Ans. 24 वर्ष
Q. चंद्रशेखर आजाद की पत्नी का क्या नाम है ?
Ans. चंद्रशेखर आजाद अविवाहित थे
Q. चंद्रशेखर आजाद कौन है ?
Ans. चंद्रशेखर आजाद एक भारतीय क्रांतिकारी है।
Q. चंद्रशेखर आजाद के पिता का क्या नाम है ?
Ans. सीताराम तिवारी
Q. चंद्रशेखर आजाद की माता का क्या नाम है ?
Ans. जगरानी देवी
Q. चंद्रशेखर आजाद की मृत्यु कहा हुई ?
Ans. चंद्रशेखर आजाद पार्क इलाहाबाद उत्तर प्रदेश
Q. चंद्रशेखर आजाद जयंती कब आती है ?
Ans. 23 July
Q. चंद्रशेखर आजाद का आजाद नाम क्यों पड़ा ?
Ans. 15 वर्ष की उम्र में पुलिस द्वारा पूछने पर की तुम्हारा नाम क्या है तो चंद्रशेखर ने जवाब दिया मेरा नाम आजाद है तथा उसके बाद उन्हें 15 बेंत की सजा सुनाई गयी।
Q. चंद्रशेखर आजाद जन्म कहाँ हुआ ?
Ans. भाँवरा मध्य प्रदेश
Q. 27 फरवरी 1931 को क्या हुआ ?
Ans. 27 फरवरी 1931 को चंद्रशेखर आजाद अंग्रेजों से लड़ते लड़ते शहीद हुए थे।
तो दोस्तों ये थी क्रांति कारी भगत सिंह की जीवनी उन्होंने अपने पुरे जीवन में कभी अंग्रेजो के सामने गुठने नहीं टेके और अपनी अंतिम साँस तक देश की आजादी के लिए लड़ते रहे आपको ये बायोग्राफी कैसी लगी मुझे कमेंट करके जरूर बताये और ऐसी और मज़ेदार पोस्ट पढ़ने के लिए आप हमारी वेबसाइट Knovn.in को फॉलो कर सकते है।