Friday, November 15, 2024
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तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी रहस्यमयी बातें, जिनका राज आज तक कोई नहीं जान पाया। || Mysterious things related to Tirupati Balaji Temple, whose secret has not been known till date.

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भारत देश में अनेकों चमत्कारी और रहस्यमयी मंदिर स्थित है जिनकी चर्चा पुरे भारत में नहीं बल्कि विदेशों तक की जाती है। इन्हीं मंदिरो में से एक दक्षिण भारत में स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर भी है। जो कि अपनी चमत्कारी और रहस्यमयी शक्तियों के कारण विश्व प्रसिद्ध है। साथ ही यह मंदिर  भारतीय वास्तुकला तथा शिल्प कला का बहुत ही उत्कृष्ट मिसाल है। दक्षिण भारत का ये मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। 

यह मंदिर भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है। तथा तिरुपति का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमाला पर्वत पर स्थित है। 

इस मंदिर को तिरुपति बालाजी के नाम से जाना जाता है। जिसका वास्तविक नाम वेनकेश्वर स्वामी है। 

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है की भगवान वेंकटेश्वर व उनकी पत्नी पद्मावती तिरुमला में रहते थे।

लोगो को मानना है कि जो भी भक्त यह सच्चे मन से जो कुछ भी मांगता है भगवान वेंकटेश्वर उनकी मनोकामना पूरी करते है। लोग अपनी श्रद्धा से यहां अपने बालों का दान करते है। 

इस मंदिर में बहुत सी चमत्कारिक और रहस्मयी चीज़े देखने को मिल जाती है।

कहा जाता है इस मंदिर में वेंकटेश्वर की जो प्रतिमा है उसपर सचमुच के बाल लगे हुए है। ताज्जुब की बात यह है कि वह बाल कभी उलझते नहीं है और हमेशा सॉफ्ट रहते है।  

इस मंदिर के गर्भगृह (मंदिर का वह स्थान जहाँ भगवान की मुख्य प्रतिमा होती है।) में प्रवेश करते ही आपको भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति मंदिर के बीच में दिखाई देगी। लेकिन जैसे ही मंदिर से बाहर निकलेंगे तो वही प्रतिमा दाहिने और दिखाई देगी। जिसका राज आज तक कोई नहीं जान पाया। 

भगवान वेंकटेश्वर की इस मूर्ति में भगवान विष्णु और माँ पार्वती दोनों का निवास है इसलिए भगवान वेंकटेश्वर महिला और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाये जाते है। 

वेंकटेश्वर की यह प्रतिमा विशेष पत्थर से बनाई गयी है जिसे देखकर अहसास होता है की ये मूर्ति जीवित है। ये ही नहीं तापमान अधिक होने पर कई बार भगवान की मूर्ति पर पसीने भी आते है। इसलिए मंदिर के तापमान को हमेशा कम रखा जाता है। 

तिरुपति मंदिर से 23 किलोमीटर दूर एक गांव बसा हुआ है जिसमें गांव के सदस्यों के अलावा गैर लोगों का प्रतिबंध है। भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर चढ़ाये जाने वाली सामग्री दही, घी, दूध, मक्खन, फूल, फल व अन्य सामग्री इसी गांव से आती है। 

 

प्रत्येक गुरुवार को भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर चंदन का लेप किया जाता है जिसे उतारने पर अद्भुत दृश्य हमारे सामने आता है। जैसे ही चन्दन के लेप को मूर्ति से उतारा जाता है वेंकटेश्वर की मूर्ति के हृदय पर माँ लक्ष्मी की छवि दिखाई पड़ती है। 

तिरुपति के इस मंदिर में हमेशा अखंड जोत जलती है लेकिन इस जोत में कभी भी घी या तेल नहीं डाला गया है न ही कभी किसी ने इसे जलाया है ये दीपक हमेशा अपने आप ही जलता रहता है। 

भगवान वेंकटेश्वर की मूर्ति पर पचाई कपूर लगाया जाता है। माना जाता है की इस कपूर को किसी भी पत्थर पर  लगाने से कुछ समय बाद उस पत्थर में दरार आ जाते है लेकिन इस मूर्ति पर इस कपूर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।  

यह भी कहा जाता है अगर भगवान वेंकेटेश्वर की मूर्ति पर कान लगाकर सुनते है तो समुद्र की लहरों की आवाज सुनाई पड़ती है साथ ही वेंकेटेश्वर की ये प्रतिमा हमेशा नम रहती है।

इस मंदिर के द्वार पर दाई और एक छड़ी रखी है। कहा जाता है वेंकटेश्वर जब छोटे थे उन्हे इस लड़की से मारा जाता था तथा जिससे उनकी ठोढ़ी पर घाव हो गया है जिस वजह से  हर शुक्रवार के दिन भगवान की ठोढ़ी पर चंदन का लेप लगाया जाता है। 

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