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हर वर्ष क्यों मनाया जाता है राजस्थान में गणगौर का त्यौहार जानिए इसके पीछे का ऐतिहासिक कारण || Why Gangaur festival is celebrated every year in Rajasthan, know the historical reason behind it

हमारे भारतवर्ष प्राचीन काल से ही तरह तरह के त्यौहार बनाये जाते है। कुछ त्यौहार धर्म के हिसाब से मनाये जाते है तो कुछ त्यौहार स्थान के हिसाब से भी मनाये जाते है। आज के इस आर्टिकल में हम गणगौर पर्व को लेकर बात करेंगे जो कि मुख्यतः हिन्दू धर्म में मनाया जाता है। ऐसे तो गणगौर पुरे भारत वर्ष में मनाया जाता है परन्तु राजस्थान में इसकी अलग ही झलक देखने को मिलती है। गणगौर का पूजन स्त्रिया अपने विवाहित जोड़े को सलामत रखने के लिए करती है आइये इस बारे में चर्चा करते है। 

गणगौर पर्व (Gangaur Festival): 





गणगौर पर्व से जुड़ा भगवान शिव व माता पार्वती का इतिहास : 

Q.  गणगौर का त्यौहार कब शुरू होता है?

Ans. गणगौर पूजन हर वर्ष होली के दूसरे दिन से शुरू होता है तथा उसके बाद 18 दिन तक यह त्यौहार चलता है।  

Q. गणगौर पूजन किसके लिए किया जाता है ?

Ans. गणगौर पूजन कुंवारी लड़किया अपने मनपसंद वर पाने के लिए करती है तथा विवाहित स्त्रिया अपनी पति की लम्बी उम्र के लिए करती है। 

Q. गणगौर में किस की पूजा की जाती है ?

Ans. गणगौर में माँ पार्वती व भगवान सही की पूजा करती है। 

Q. गणगौर को कुएं में क्यों डालते है ?

Ans. गणगौर को कुएं में इसलिए डाला जाता है क्योकि जब गौरा पीहर आई थी ईसर जी उनके पीछे पीछे उन्हें लेने आ गए फिर 18 दिन बाद गोरा की उसके पीहर से ससुराल जाने के लिए विदाई की जाती है। उसी विदाई के रूप में गणगौर को पानी में विसर्जित किया जाता है। 

Q. गणगौर का अर्थ क्या है ?

Ans. गणगौर 2 शब्दों गण+गौर से मिलकर बना है जिसमें गण का अर्थ शिव (ईसर) होता है। तथा गौर का अर्थ पार्वती (गोरा) होता है। 

Q. गणगौर पर्व किसका प्रतीक है ?

Ans. गणगौर पर्व अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। 

Q. गणगौर का मेला किस दिन लगता है ? 

Ans. शुक्ल पक्ष की तृतीया पर। 

दोस्तों आज की इस पोस्ट में हमने गणगौर पर्व के बारे में जाना है आपको ये पोस्ट कैसी लगी मुझे कमेंट करके जरूर बताये और ऐसी और पोस्ट पढ़ने के लिए आप हमे फॉलो कर सकते है। 

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