डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन प्रख्यात शिक्षाविद भारत के पहले उप राष्ट्रपति रह चुके है और दूसरे राष्ट्रपति भी रह चुके है |
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन का यह मानना था कि शिक्षक वह होता है जो दूसरों को प्यार बांटे और अपना ज्ञान अर्जित करे बल्कि वो नहीं जो सिर्फ अपने शिक्षक होने के गुण गाए |
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षक के रूप में अपने जीवन के चालीस साल भारत के भविष्य को बहतर बनाने में लगाए |
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार उच्च शिक्षा का काम है साहित्य , व्यापार व्यवसाय ,कला को कुशल नेतृत्व देना |
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन के अनुसार अनुभव की तीन श्रेणियां होती है -इन्द्रिय अनुभव , विवेकपूर्ण तर्क और सहज ज्ञान |
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डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन ने 1949 से 1952 तक सोवियत संघ में भारतीय राजदूत के रूप में भी योगदान दिया |
भारत में शिक्षक दिवस इसलिए मनाया जाता है ताकि समाज में शिक्षकों के योगदान को लोग पहचान सके और उनका सम्मान करें |
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन ने रूस की राजधानी मास्को और भारत के बीच राजदूत पद पर रहते हुए भारत और रूस की मित्रता बढ़ाने में भी इनका योगदान है |
डॉ. सर्वेपल्ली राधाकृष्णन के पिता सर्वेपल्ली वीरास्वामी थे जो अपने गाँव में सबसे ज्ञानी पंडित के रूप में प्रसिद्ध थे क्योंकि यह ब्राह्मण परिवार से थे |
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