लोहना जाति इस कारोबार को लेकर विरोध में कड़ी हो गयी और इनका बहिष्कार कर दिया। इस बहिष्कार को देखते हुए प्रेमजी भाई ने इस कारोबार को बंद कर दिया
लेकिन अब भी समाज प्रेमजी भाई और उनके बेटे पुंजालाल ठक्कर को समाज ने स्वीकार नहीं किया
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